- डॉ.एस.आर.रंगनाथन (भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के जनक) का जन्म 12 अगस्त 1892 को शियाली, मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में हुआ था हालाँकि कई साहित्यों में जन्म 9 अगस्त 1892 भी दर्ज है,,
- उनकी शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, टीचर्स कॉलेज, सइदापेट में हुई थीं,, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने 1913 और 1916 ईस्वी में गणित में बी.ए.और एम.ए.की उपाधि प्राप्त की,,
- 1917 में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटुर और 1921-23 के दौरान प्रेजडिंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया,,
- 1924 में रंगनाथन को मद्रास विश्वविद्यालय का पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता हासिल करने के लिए वह यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए,, 1925 से मद्रास में उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक इस पद पर बने रहें,, 1945-47 के दौरान उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय पुस्तकालाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया,,
- सन 1947-54 के दौरान उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया,,
- 1954-57 के दौरान वह ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे,,
- इसके बाद वह भारत लौट आए और 1959 तक विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अतिथि प्राध्यापक रहे,,
- 1962 ईस्वी में उन्होंने बंगलौर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (DRTC) स्थापित किया और इसके प्रमुख बने एवं जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे,,
- 1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया,,
- उनके जन्म दिन 12 अगस्त को पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस (Librarian's Day) के रूप में मनाया जाता है,,
- रंगनाथन द्वारा 1928 ईस्वी में पुस्तकालय विज्ञान के पाँच सूत्रों का प्रतिपादन किया गया, जिससे पुस्तकालय सेवा को नया आयाम प्राप्त हुआ,,
- पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का योगदान प्रायः सभी क्षेत्रों में रहा,, उन्होने वर्गीकरण, सूचीकरण, प्रबंधन और अनुक्रमणीकरण (Indexing) आदि क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया,,
- उनके द्विबिन्दु वर्गीकरण (CC: Colon Classification -1933 ईस्वी) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है,, इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया,,
- सन 1934 में वर्गीकृत सूचीकरण पद्धति (CCC: Classified Cataloguing Code) का प्रकाशन हुआ,, उन्होने इसमें अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'श्रृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक का विकास किया,,
- उनकी फाइव लॉज ऑफ लाइब्रेरी साइंस (1931) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया,,
- उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों के विकास की योजनाएँ तैयार की एवं कई पत्रिकाएँ संपादित किया और कई व्यावसायिक समितियों में सक्रिय रहें,,
- एस.आर.रंगनाथन की कृतियों में कोलन क्लासिफिकेसन, क्लासिफाइड कैटेलॉग कोड, प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क्लासिफिकेसन, थ्योरी ऑफ लाइब्रेरी कैटेलॉग, एलीमेंट्स ऑफ लाइब्रेरी क्लासिफिकेसन, क्लासिफिकेसन ऐंड इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन, क्लासिफिकेसन ऐंड कम्युनिकेशन और हेडिंग्स ऐंड कैनन्स आदि प्रमुख है,,
The Five Laws of Library Science- 1931
Colon Classification- 1933
Classified Cataloguing Code- 1934
Prolegomena to Library Classification- 1937
Prolegomena to Library Classification (secound edition)- 1957
Prolegomena to Library Classification (third edition)- 1967
Classification and Communication- 1951
Documentation: Genesis and Development- 1973
Documentation and its facets- 1963
Reference Service- 1961
Library Book Selection- 1952
Library Book Selection (2nd ed.)- 1966
Philosophy of Library Classification- 1951
Library Administration- 1935
Library Manual- 1951
Ramanujan: The man and themathematician- 1967
Sggestion for the organization of the Libraries in India- 1946
Heading and Canons- 1955
A Librarian Looks Back: An autobiography of Dr.S.R.Rangnathan (Editor: P.N.Kaula)- 1992
Colon Classification (1st ed.)-1933
Colon Classification (2nd ed.)- 1939
Colon Classification (3rd ed.)- 1950
Colon Classification (4th ed.)- 1952
Colon Classification (5th ed.)- 1957
Colon Classification (6th ed.)- 1960
- एस.आर.रंगनाथन जैसे महान पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री की मृत्यु 27 सितम्बर 1972, बंगलोर में हुई थीं,,
- उनकी शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, टीचर्स कॉलेज, सइदापेट में हुई थीं,, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने 1913 और 1916 ईस्वी में गणित में बी.ए.और एम.ए.की उपाधि प्राप्त की,,
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- 1917 में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटुर और 1921-23 के दौरान प्रेजडिंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया,,
- 1924 में रंगनाथन को मद्रास विश्वविद्यालय का पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता हासिल करने के लिए वह यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए,, 1925 से मद्रास में उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक इस पद पर बने रहें,, 1945-47 के दौरान उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय पुस्तकालाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया,,
- सन 1947-54 के दौरान उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया,,
- 1954-57 के दौरान वह ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे,,
- इसके बाद वह भारत लौट आए और 1959 तक विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अतिथि प्राध्यापक रहे,,
- 1962 ईस्वी में उन्होंने बंगलौर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (DRTC) स्थापित किया और इसके प्रमुख बने एवं जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे,,
- 1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया,,
- उनके जन्म दिन 12 अगस्त को पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस (Librarian's Day) के रूप में मनाया जाता है,,
- रंगनाथन द्वारा 1928 ईस्वी में पुस्तकालय विज्ञान के पाँच सूत्रों का प्रतिपादन किया गया, जिससे पुस्तकालय सेवा को नया आयाम प्राप्त हुआ,,
- पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का योगदान प्रायः सभी क्षेत्रों में रहा,, उन्होने वर्गीकरण, सूचीकरण, प्रबंधन और अनुक्रमणीकरण (Indexing) आदि क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया,,
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- उनके द्विबिन्दु वर्गीकरण (CC: Colon Classification -1933 ईस्वी) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है,, इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया,,
- सन 1934 में वर्गीकृत सूचीकरण पद्धति (CCC: Classified Cataloguing Code) का प्रकाशन हुआ,, उन्होने इसमें अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'श्रृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक का विकास किया,,
- उनकी फाइव लॉज ऑफ लाइब्रेरी साइंस (1931) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया,,
- उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों के विकास की योजनाएँ तैयार की एवं कई पत्रिकाएँ संपादित किया और कई व्यावसायिक समितियों में सक्रिय रहें,,
- एस.आर.रंगनाथन की कृतियों में कोलन क्लासिफिकेसन, क्लासिफाइड कैटेलॉग कोड, प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क्लासिफिकेसन, थ्योरी ऑफ लाइब्रेरी कैटेलॉग, एलीमेंट्स ऑफ लाइब्रेरी क्लासिफिकेसन, क्लासिफिकेसन ऐंड इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन, क्लासिफिकेसन ऐंड कम्युनिकेशन और हेडिंग्स ऐंड कैनन्स आदि प्रमुख है,,
Book, Publication year
The Five Laws of Library Science- 1931
Colon Classification- 1933
Classified Cataloguing Code- 1934
Prolegomena to Library Classification- 1937
Prolegomena to Library Classification (secound edition)- 1957
Prolegomena to Library Classification (third edition)- 1967
Classification and Communication- 1951
Documentation: Genesis and Development- 1973
Documentation and its facets- 1963
Reference Service- 1961
Library Book Selection- 1952
Library Book Selection (2nd ed.)- 1966
Philosophy of Library Classification- 1951
Library Administration- 1935
Library Manual- 1951
Ramanujan: The man and themathematician- 1967
Sggestion for the organization of the Libraries in India- 1946
Heading and Canons- 1955
A Librarian Looks Back: An autobiography of Dr.S.R.Rangnathan (Editor: P.N.Kaula)- 1992
Colon Classification (1st ed.)-1933
Colon Classification (2nd ed.)- 1939
Colon Classification (3rd ed.)- 1950
Colon Classification (4th ed.)- 1952
Colon Classification (5th ed.)- 1957
Colon Classification (6th ed.)- 1960
- एस.आर.रंगनाथन जैसे महान पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री की मृत्यु 27 सितम्बर 1972, बंगलोर में हुई थीं,,
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बढ़िया
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