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आइये पुस्तकालय विज्ञान को आसान बनाये।

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पुस्तकालय एवं सूचना केन्द्रों के प्रकार (Types of Library & Information Centers)

पुस्तकालय एवं सूचना केन्द्रों के प्रकार (Types of Library & Information Centers)

पुस्तकालय विज्ञान


- विभिन्न पुस्तकालयों का अपना क्षेत्र और उद्देश्य अलग अलग होता है,, और वह अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अनुकूल रूप धारण करते हैं,, इसी के आधार पर इसके अनेक भेद हो जाते है,, मुख्यतः पुस्तकालय के तीन प्रकार होते है: सार्वजनिक पुस्तकालय, शैक्षणिक पुस्तकालय और विशिष्ट पुस्तकालयल,,

- राष्ट्रीय पुस्तकालय को सार्वजनिक पुस्तकालयों की श्रेणी में रखा जाए जाए या अलग श्रेणी माना जाए इसमें विद्वानों के मत समान नहीं है, हालांकि अधिकांश राष्ट्रीय पुस्तकालय को सार्वजनिक पुस्तकालय का ही स्वरूप मानते है,,


सार्वजनिक पुस्तकालय (Public Library) 


- सार्वजनिक पुस्तकालय जनता द्वारा जनता के लिए संचालित होता है, यह आम जनों के लिए उपलब्ध है,, वास्तव में सार्वजनिक पुस्तकालय जनता का विश्वविद्यालय हैं, जो बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक नागरिक के उपयोग के लिए है,,

- यूनेस्को का पब्लिक लाइब्रेरी घोषणापत्रः यूनेस्को ने अपने सदस्य देशों के लिए सार्वजनिक ग्रंथालय मैनिफेस्टों को 1949 में तैयार किया और IFLA के सहयोग 1972 में इसमें संशोधन किया,,


- बाद में, 1994 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाइब्रेरी एसोसिऐशन (IFLA) के सहयोग से सार्वजनिक ग्रंथालय घोषणापत्र तैयार किया गया,, इस घोषणापत्र को व्यापक रूप से सभी देशों द्वारा स्वीकार किया गया है,,

- यह सार्वजनिक ग्रंथालय के उद्देश्य, गतिविधियों और सेवाओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है, उसकी निधि, अधिनियम और नेटवर्क, उसकी कार्यात्मक गतिविधियां और उनका प्रबंधन एवं घोषणापत्र को लागू करने के निर्देश प्रदान करता है,,


शैक्षणिक पुस्तकालय (Academic Library) 




- किसी शैक्षणिक संस्था से जुड़ा ग्रंथालय शैक्षणिक ग्रन्थालय कहलाता है,,

जो ग्रन्थालय ऐसी शिक्षण संस्थाओं से जुड़े होते है वे शैक्षणिक ग्रन्थालय है जैसे की विद्यालय ग्रन्थालय, महाविद्यालय ग्रन्थालय, विश्वविद्यालय ग्रन्थालय आदि!



- ये ग्रंथालय अपनी पैतृक शिक्षण संस्था के उद्देश्य को पूरा करने में सहायता प्रदान करते है,, इन ग्रंथालयों का आकार, स्वरूप, संग्रह, कार्य तथा सेवाएँ पैतृक संस्था की प्रकृति पर आधारित होती है,,



- शैक्षणिक ग्रन्थालय प्रायः तीन प्रकार के होते है: विद्यालय ग्रंथालय, महाविद्यालय ग्रंथालय एवं विश्वविद्यालय ग्रंथालय,,

- जो ग्रन्थालय किसी विद्यालय से जुड़ा होता है वह विद्यालय ग्रन्थालय कहलाता है,, ऐसे पुस्तकालय के उद्देश्य एवं कार्य विद्यालय के शैक्षणिक लक्ष्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में कार्य करना होता है,, ऐसे पुस्तकालयों में कहानियों, महापुरुषों की जीवनीयों, पाठ्यक्रम संबन्धित संदर्भ ग्रन्थों, विश्वकोश, शब्दकोश, सामान्य ज्ञान की पुस्तक के अलावा प्रतियोगिता परीक्षा संबन्धित पुस्तकों का संग्रह होना चाहिए,, इसके अलावा समाचार पत्रों एवं शैक्षणिक पत्रिकाओं का पर्याप्त संग्रह होना चाहिए,,


- सर्वप्रथम राधा कृष्णन आयोग 1948 ने विद्यालय शिक्षा में ग्रन्थालयों को महत्व दिया,,

- विद्यालय पुस्तकालय के उद्देश्यों एवं कार्यों को हम इस तरह देख सकते है- विद्यालय के शैक्षणिक लक्ष्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में कार्य करना, विद्यालय के पाठ्यक्रम से संबन्धित सूचनाओं का संग्रह करना, छात्रों एवं शिक्षकों को शिक्षण संबन्धित पाठ्य सामाग्री उपलब्ध कराना, विद्यालय के सूचना एवं ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करना, छात्रों में पढ़ने की आदतों (Reading Habit) को बढावा देना, नए ज्ञान का सृजन स्थान बनना, छात्रों के व्यक्तित्व के विकास से सहायक बनना, आदि,,

- विद्यालय पुस्तकालय को इन स्तरों पर विभाजित किया जा सकता है प्राथमिक विद्यालय पुस्तकालय, माध्यमिक विद्यालय पुस्तकालय, उच्च विद्यालय पुस्तकालय एवं उच्चतर विद्यालय पुस्तकालय,,

- जो ग्रंथालय जिस महाविद्यालय से सम्बद्ध हो वह उस महाविद्यालय का ग्रन्थालय कहलाता है,,


- महाविद्यालय ग्रन्थालयों के उद्देश्य इस प्रकार है- सम्बद्ध महाविद्यालय के शैक्षणिक कार्यक्रमों को सफल बनाने में सहायता करना, पाठकों का विभिन्न प्रकार के ज्ञान की गहनता से अवगत कराना, विद्यार्थियों को विभिन्न व्यवसायों में प्रवेश के लिए तैयार करना, विद्यार्थियों तथ शिक्षकों के अध्ययन, अनसन्धान, आवश्यकताओं को पूरा करना, त" सुसंस्कृत तथा ज्ञानवान नागरिक तैयार करना, आदि,,



- सी डी देशमुख जो दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति थे, विश्वविद्यालय ग्रन्थालय को परिभाषित करते हुए कहा था विश्वास ग्रन्थालय विश्वविद्यालय का हृदय स्थल होता है,, इस बात से है विश्वविद्यालय ग्रन्थालय की महत्ता का सहज ही अनुमान लगा सकते अतः उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिए समृद्ध पुस्तकालय का होना अत्यंत ही आवश्यक है,,

- विश्वविद्यालय ग्रन्थालय का उद्देश्य है- अपनी पैतृक संस्था या विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहयोग देना, समय पर पुस्तक उपलब्ध कराना, अध्यापन एवं शोध में सहायता करना, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना,,

- विश्वविद्यालय ग्रन्थालय विश्वविद्यालय का हृदय स्थल होता है,, विश्वविद्यालय की बहुआयामी गतिविधियों के कारण पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय ग्रन्थालय की उपयोगिता में आज बहुत वृद्धि हो गई है,, यह बात भी सही है कि विश्वविद्यालय ग्रन्थालय जितना समृद्ध होगा उतना ही उस विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल समृद्ध होगा,,


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विशिष्ट पुस्तकालय (Speciel Library) 




- ये पुस्तकालय विशिष्ट प्रकार के होते हैं और संग्रह की दृष्टि से इनका रूप प्राय: अन्य पुस्तकालयों से भिन्न होता है,,

- इसमे किसी विशिष्ट विषयो पर पाठ्य या शोध सामाग्री उपलब्ध होती है, जैसे: चिकित्सा पुस्तकालय, यह पुस्तकालय किसी चिकित्सा संबंधी संस्था, विद्यालय, अनुसंधान केंद्र अथवा चिकित्सालय से संबद्ध होते हैं,, तथा चिकित्सा संबंधी पुस्तकों का संग्रह इनमें रहता है और इनका रूप सार्वजनिक न होकर विशेष वर्ग की सेवा मात्र तक ही सीमित होता है,, उसी प्रकार कृषि पुस्तकालय, अभियंत्रण पुस्तकालय, आदि,,



राष्ट्रीय पुस्तकालय National Library) 




- जिस पुस्तकालय का उद्देश्य राष्ट्र में उपलब्ध ज्ञान का संरक्षण करना होता है तथा संपूर्ण राष्ट्र की सेवा करना होता है उसे राष्ट्रीय पुस्तकालय कहते हैं,,

- भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता में अवस्थित है,,

- भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय की स्थापना सन 1836 ईस्वी में °Culcutta Public Library' के नाम से हुई थी जिसे सन 1902 ईस्वी में Impirial Library' में मिला दिया गया,,




- आजादी के बाद सन 1948 ईस्वी में 'Impirial Library' को “The Imperial Library (change of name) Act,1948” द्वारा राष्ट्रीय पुस्तकालय घोषित किया गया तथा सन 1953 ईस्वी में तात्कालिक शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद द्वारा इसे सभी भारतीय के लिए खोल दिया गया,,

- राष्ट्रीय पुस्तकालय से तात्पर्य एक ऐसी पुस्तकालय से है जहाँ राष्ट्र की साहित्यिक सम्पदा एवं भौतिक धरोहर को एकत्रित कर कानून की की साहित्य सम्मति से सुरक्षित रखा जाता है,,

- राष्ट्रीय पुस्तकालय की स्थापना का प्रावधान भारत के संविधान की,, धारा 62 के अन्तर्गत संघीय सूची के 7वें परिशिष्ट में किया गया है,,



- भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय कलकत्ता में स्थित है इस पुस्तकालय की स्थापना का एक लम्बा इतिहास है,, इसका इतिहास 1836 ईस्वी में स्थापित पब्लिक लाइब्रेरी से प्रारम्भ होता है,, 1844 ईस्वी में इसे मेडकॉफ नामक भवन में स्थापित किया गया,,

- 1891 ईस्वी में तत्कालीन वायसराय लार्डकर्जन ने कई सचिवालय पुस्तकालय को मिला कर इंपीरियल लाइब्रेरी की स्थापना की,,

- कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी को 1902 ईस्वी में इम्पेरियल लाइब्रेरी एक्ट के तहत इम्पेरियल लाइब्रेरी के साथ मिला लिया गया,, इस नवीन ‘Imperial Library of India' को 30 जनवरी 1903 ईस्वी के दिन मेडकॉफ हॉल में जनता के उपयोगतार्थ खोल दिया गया,,

- ब्रिटिश म्यूजियम के जॉन मैडफर्लेन को इस नवीन इम्पेरियल लाइब्रेरी का प्रथम पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया,, इसके साथ ही दुर्लभ एवं सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों का अर्जन इस पुस्तकालय का उद्देश्य बन गया,,

- 1907 ईस्वी में हरिनाथ डे इसके प्रभारी बन और 1911 में जे ए.चौपमैन ने इस पुस्तकालय का कार्य संभाला और इसका चहुंमुखी विकास हुआ,,



- 1928 ईस्वी में भारत सरकार ने पुस्तकालय के पुर्नगठन एवं प्रशासनिक सुधार के लिए रिये की अध्यक्षता में एक समिति गठित की,, इस समिति ने अनुसंशा किया कि इम्पेरियल लाइब्रेरी को 'Depository Library' घोषित किया जाय और एक विधि के तहत देश के अन्दर प्रकाशित पुस्तक एवं पत्रिका की दो प्रतियाँ इसे भेजी जाएं परन्तु यह योजना असफल रही,,


- 1933 ईस्वी में के एम असदुल्ला पुस्तकालयाध्यक्ष बने,, इन्होंने 1935 ईस्वी में छः मास का पुस्तकालय प्रशिक्षण प्रारंभ किया जो 1945 ईस्वी तक चला,, के एम असदुल्ला ‘Imperial Library of India' के अंतिम पुस्तकालयाध्यक्ष थे,,

- इसके पश्चात् वी.एस.केशवन पुस्तकालयाध्यक्ष बने,, 1948 ईस्वी में भारत सरकार ने एक अधिनियम के तहत इसे राष्ट्रीय पुस्तकालय का नाम दिया और वी.एस.केशवन इसके पुस्तकालयाध्यक्ष बने,,



- इस प्रकार वी.एस.केशवन राष्ट्रीय पुस्तकालय के प्रथम पुस्तकालयाध्यक्ष बने,,

- 1951 ईस्वी में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल श्री राजगोपालाचारी की अनुशंसा पर इसे मेडकॉफ हॉल से स्थानांतरित कर बेलवेडियर में लाया गया जहाँ यह आज तक अवस्थित है,,

- 1 फरवरी 1953 ईस्वी को तात्कालिक शिक्षा मंत्री भारत सरकार मौलाना अबुल आजाद के द्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए खोल दिया गया,,

- राष्ट्रीय पुस्तकालय के उद्देश्य : राष्ट्र की समस्त साहित्यिक सामग्री का अर्जन एवं सरंक्षण, राष्ट्रीय महत्ता की हस्तलिखित सामग्री की अर्जन तथा संरक्षण, राष्ट्र के हित की विदेशी मुद्रित सामग्री का योजनाबद्ध अर्जन, अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक विनियम तथा अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक के केन्द्र के रूप में कार्य करना, वर्तमान तथा पूर्व प्रकाशन सामग्री की प्रलेखन तथा ग्रन्थपरक सेवाएँ प्रदान करना, ज्ञान निर्देशन के रूप में कार्य करना,,

- देश में पुस्तकालय सेवा के विकास में राष्ट्रीय पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका है,, राष्ट्रीय पुस्तकालय देश-विदेश के पुस्तकालयों से सम्पर्क स्थापित कर दुर्लभ पाठ्य सामग्रियों का अर्जन करता है,, इतना ही नहीं राष्ट्रीय ग्रंथसूची (INB: Indian National Bibliography) का भी निर्माण करना इसी का मुख्य कार्य है,,

- राष्ट्रीय पुस्तकालय पर राष्ट्रीय ग्रंथसूची के प्रकाशित कराने का दायित्व होता है,, इसके तहत देश में प्रकाशित होने वाले समस्त पुस्तकों की सूची का निर्माण कर प्रकाशन का दायित्व होता है,, डिलीवरी ऑफ बुक्स एक्ट, 1954 ईस्वी के कानून के द्वारा प्रत्येक प्रकाशन की एक प्रति राष्ट्रीय पुस्तकालय को भेजना प्रकाशकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है,, इन प्रकाशनों की सूची का निर्माण कर राष्ट्रीय ग्रंथसूची प्रकाशन का दायित्व राष्ट्रीय पुस्तकालय का होता है,,


- हालांकि वर्तमान समय में राष्ट्रीय ग्रंथसूची (INB: Indian National Bibliography) के निर्माण का कार्य केंद्रीय संदर्भ पुस्तकालय (CRL: Central Reference Library) द्वारा किया जा रहा है,,

- राष्ट्रीय पुस्तकालय का संचालन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन है,,

- इस संस्था का प्रधान निर्देशक (Director General) होता है जिसकी सहायता के लिए दो पुस्तकालयाध्यक्ष के पद है,,


- कार्य के अनुसार इसे दो भागों में विभक्त किए गए हैं, पहला तकनीकी विभाग- इसका कार्य पुस्तका चयन, पुस्तके अर्जन, प्रस्तुतीकरण, पुस्तक संरक्षण इत्यादि करना है और दूसरा प्रशासनिक विभाग- इसका मुख्य कार्य प्रशासनिक कार्यों को देखना है,, राष्ट्रीय पुस्तकालय में कितनी पुस्तकें, प्रलेख, हस्तलिखित ग्रंथ, मानचित्र पत्रिकाएँ इत्यादि है इसका ब्यौरा रखना इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय पुस्तकालय में कार्यरत कर्मचारियों का भी ब्यौरा रखना इसका कार्य है,

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