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राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति (National Policy on Library & Information System : (NAPLIS)


राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति (National Policy on Library & Information System : NAPLIS) को लेकर सन् 1985 ईसवी में प्रो. डी.पी.चट्टोपाध्याय के अध्यक्षता में एक समिति की गठन किया गया था। इस समिति ने भारत में पुस्तकालय और सूचना प्रणाली के विकास के लिए एक राष्ट्रीय नीति के रूप में NAPLIS को विकसित करने का मकसद रखा था।


    RRRLF (Raja Rammohun Roy Library Foundation) ने 1981 ईसवी में डॉ. बी.पी. बरूआ के अध्यक्षता में एक कार्यकारी दल का गठन किया था जो राष्ट्रीय पुस्तकालय नीति के प्रारूप को तैयार करने के लिए बनाया गया था। इसके फलस्वरूप, 1983 ईसवी में "National Policy on Library and Information System" का प्रारूप तैयार किया गया। इस प्रारूप के आधार पर, भारत सरकार के संस्कृति विभाग ने एक ड्राफ्ट पॉलिसी स्टेटमेंट जारी किया और डॉ. डी.पी. चद्धोपाध्याय की अध्यक्षता में एक समिति की गठन किया गया। 1986 ईसवी में, यह समिति अपनी अनुशंसाओं को प्रस्तुत कर दी गई थी।


    सांस्कृतिक मंत्रालय ने एक Working Group की स्थापना की थी जो इसके कार्यान्वयन के लिए बनाई गई थी। इस ग्रुप ने 1993 ईसवी में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें NAPLIS द्वारा दी गई 60 संस्तुतियों (Recommendations) में से केवल 29 संस्तुतियों को ही कार्यान्वित करने का सुझाव दिया गया था।


    इसका मतलब है कि यह Working Group ने केवल अपनी रिपोर्ट में 29 संस्तुतियों को ही दिया था जिन्हें वे संभवतः सबसे महत्वपूर्ण या जरूरी मानते थे। अन्य संस्तुतियों को शायद वे किसी अन्य कारणों से नहीं कार्यान्वित करना चाहते थे, जैसे कि अधिक मुश्किल या असंभव होना या कोई अन्य विवादित मुद्दा।


    राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति भारत सरकार द्वारा अधिसूचित एक नीति है, जो देश में पुस्तकालय और सूचना संसाधनों के विकास एवं समान उपयोग के लिए उन्हें संचालित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इस नीति का प्राथमिक उद्देश्य भारत के समस्त नागरिकों के लिए समान रूप से पुस्तकालय सेवाओं के उपयोग की सुविधा उपलब्ध कराना है।


राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:


पुस्तकालय संरचना का संवर्धन: इस नीति के तहत, पुस्तकालय संसाधनों को संबोधित करने और संभालने के लिए एक अधिकृत व्यवस्था विकसित करने का लक्ष्य है। इसके अलावा, इस नीति के तहत राष्ट्रीय स्तर पर पुस्तकालयों की आवश्यकताओं का अध्ययन करने और उन्हें भागीदारी लेने का भी प्रयास किया जाता है।


डिजिटल पुस्तकालय: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति विभिन्न डिजिटल संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देती है।


पुस्तकालय सेवाएं: इस नीति के तहत, पुस्तकालय सेवाओं के संचालन और विकसित करने का लक्ष्य है। इसके लिए, राष्ट्रीय स्तर पर एक नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया विकसित किया जाना है। इसके अलावा, पुस्तकालय सेवाओं के लिए राष्ट्रीय नीतियां तैयार की जाएंगी।


जन-प्रतिक्रिया में वृद्धि: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के तहत, जन-प्रतिक्रिया में वृद्धि के लिए उपयोगी तकनीकों के विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, यह नीति सोशल मीडिया और इंटरनेट जैसी नई तकनीकों के उपयोग के लिए भी दिशानिर्देश प्रदान करती है।


सूचना पहुंच: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के तहत, संदर्भ सेवा, सूचना पहुंच और सूचना विनिमय के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी।


पुस्तकालय संसाधनों के लिए अनुसंधान: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति अनुसंधान और विकास के लिए उच्च स्तरीय समितियों का गठन करना व उनके रेपोर्ट्स के अनुसार उचित अनुसंधान व सुधार करना है । 


पुस्तकालय कार्यकर्ताओं की तैयारी: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के तहत, पुस्तकालय कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण और तालिम का विकास होगा।


जनता के भागीदारी: इस नीति के अंतर्गत, सामाजिक और सांस्कृतिक समुदायों को पुस्तकालय सेवाओं के विकास में सक्रिय भागीदार बनाने का प्रयास किया जाएगा।


अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए उद्देश्य को ध्यान में रखती है।


निगरानी और मूल्यांकन: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के तहत, पुस्तकालय सेवाओं के निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक विशेष मंडल बनाया जाएगा।


डिजिटलीकरण: इस नीति के तहत, पुस्तकालय संसाधनों को डिजिटलाइजेशन करने के लिए कार्य किया जाएगा। इसके लिए, राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल पुस्तकालय विकसित किया जाएगा।


विवेकाधीनता: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के अनुसार, पुस्तकालय के संचालन में विवेकाधीनता और निष्पक्षता का पालन किया जाना चाहिए।


आधुनिकता: इस नीति के तहत, पुस्तकालय सेवाओं को आधुनिकता के अनुरूप बनाने के लिए कार्य किया जाएगा।


विस्तार और विस्तृत उपयोगकर्ता सेवा: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के तहत, पुस्तकालय सेवाओं का विस्तार किया जाना चाहिए और उपयोगकर्ताओं के लिए विस्तृत सेवाओं के विकास का प्रयास किया जाएगा।


सहज उपयोग: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के अनुसार, पुस्तकालय सेवाओं को सहज और उपयोगकर्ता मित्रता के अनुरूप बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।


उपयोगकर्ता उत्तरदायित्व: राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना नीति के अनुसार, पुस्तकालय सेवाओं के उपयोगकर्ताओं के प्रति जिम्मेदारियों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।





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