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बौद्धिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights)

 बौद्धिक सम्पदा अधिकार
(IntellectualProperty Rights)






बौद्धिक सम्पदा का अर्थ एवं परिभाषा


     बौद्धिक सम्पदा दो शब्दों के मेल से बना है, जिसमें बौद्धिक का अर्थ है, बुद्धि या ज्ञान सम्मत, जबकि सम्पदा का अर्थ है सम्पत्ति, धन, ऐश्वर्य, वैभव आदि। इस प्रकार की बौद्धिक या ज्ञान सम्मत सम्पत्ति बौद्धिक सम्पदा कहलाती है; जैसे-एकस्व, प्रतिलिप्याकार, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, भौगोलिक संकेतन तथा तकनीकी गुप्त जानकारी आदि। बौद्धिक सम्पदा भी मनुष्य की अन्य सम्पदाओं के समान ही एक सम्पत्ति होती है, जिसका क्रय-विक्रय भी अन्य भौतिक तथा गैर-भौतिक सम्पत्तियों के समान ही किया जा सकता है।

    बौद्धिक सम्पदा तथा अन्य प्रकार की सम्पत्तियों में महत्त्वपूर्ण अन्तर यह होता है कि इसे भौतिक तत्त्वों के समान ही छुआ या सीमाओं में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। अतः बौद्धिक सम्पदा किसी पदार्थ के समान न होकर अन्वेषणात्मक रूप में या विचारात्मक स्वरूप में होती है। इसे दूसरे व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने से संरक्षित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार बौद्धिक सम्पदा अपने आप में व्यापक, किन्तु जटिल प्रक्रिया को समेटता है।


    बौद्धिक सम्पदा को संरक्षित करने के लिए बौद्धिक सम्पदा अधिकार को परिभाषित किया गया है। यह किसी भी उत्पाद या आविष्कार के निर्माता या आविष्कारक को इस बात की अनुमति प्रदान करते हैं कि वह अन्य व्यक्तियों को अपने उत्पाद या आविष्कार के लिए निश्चिय अवधि तक व्यावसायिक दोहन करने से रोक सके। यह अधिकार निर्माता या आविष्कारक को अपने उत्पाद का कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है, जिसके अभाव में बौद्धिक सम्पदा का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। बौद्धिक सम्पदा, अधिकार सम्मिलित रूप से सदस्य राष्ट्रों द्वारा प्रदान किया जाता है, इसलिए विविध देशों द्वारा भी बौद्धिक सम्पदाओं का लगातार आदान-प्रदान किया जाता है।



    बौद्धिक सम्पदा का इतिहास


    बौद्धिक सम्पदा शब्द का आधुनिकतम उपयोग का उल्लेख 1888 ई. में मिलता है। जब बर्न में बौद्धिक सम्पदा के लिए स्विस संघीय कार्यालय की स्थापना की गई। उन्होंने बौद्धिक सम्पदा शब्द को अपने नए संयुक्त शीर्षक बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण के लिए संयुक्त अन्तर्राष्ट्रीय ब्यूरो में अपनाया। यद्यपि 15वीं शताब्दी में जब मुद्रण द्वारा साहित्यिक रचनाओं की अवैधानिक नकल करना सम्भव हुआ, तब से बौद्धिक सम्पदा अधिकार अपने अस्तित्व में आया।

    वर्ष 1960 में संगठन को जेनेवा में स्थानान्तरित कर दिया गया और वर्ष 1967 में सन्धि के तहत संयुक्त राष्ट्र की एक ऐसी एजेन्सी के रूप में इस संगठन का उत्तराधिकारी बना। यहीं से बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की यात्रा प्रारम्भ हुई, जो आज 'विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन' तथा व्यापार सम्बन्धी बौद्धिक सम्पदा अधिकार समझौते जैसे उपायों का रूप धारण कर चुके हैं।


    बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रकार 


    बौद्धिक सम्पदाओं को बौद्धिक सम्पदा अधिकार के माध्यम से ही कानूनी संरक्षण मिलता है। इसके अभाव में यह अधिकार खतरे में पड़ सकता है। 

बौद्धिक सम्पदा अधिकार के निम्नलिखित प्रकार हैं

 • व्यवस्थाओं के ट्रेडमार्क का अधिकार 

 • डिजाइनरों के डिजाइन का अधिकार 

 • कलाकार, चित्रकार, संगीतकार, मूर्तिकार, छाया चित्रकार तथा लेखकों हेतु उनके कार्यों का प्रतिलिप्याधिकार 

• कम्प्यूटर प्रोग्रामरों के प्रोग्रामों तथा आँकड़ों के संकलनार्थ, प्रतिलिप्याधिकार 

 • उत्पादक तथा निर्माताओं के उत्पाद सम्बन्धी अधिकार 

 • उद्योगपतियों के प्रबन्धन तकनीकयुक्त अगोचर सूचना संरक्षण का अधिकार 

 • फोनोग्राफ प्रस्तुत निर्माताओं तथा प्रसारण संगठनों को उनके कार्यों के प्रतिलिप्याधिकार 

 • आविष्कारक का एकछत्र अधिकार




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